Friday, 24 July 2015

अविश्वास − आत्मिक जाग्रति में बाधक है! Unbelief - A Hindrance to Revival Real Conversion

“वे अपनी भेड़−बकरियां और गाय−बैल लेकर यहोवा को ढूंढने चलेंगे‚ परन्तु वह उनको ना मिलेगा; क्योंकि वह उनसे दूर हो गया है।” (होशे ५:६)

इजरायलियों ने असीरियों की तरफ से खतरा महसूस किया। तब वे परमेश्वर की ओर मुड़े। तब वे परमेश्वर के कोप को शांत करने के लिये, वे भेड़ और बैलो का बलिदान चढाने को लाए। परन्तु परमेश्वर से उन्हैं क्षमा नही मिली। उनकी मूर्ति पूजा व पाप के कारण “वह उनसे दूर हो गया” जब तक वह मिल सकता था उन्होने उसे खोजने का प्रयास नहीं किया। अब बहुत देर हो चुकी थी। परमेश्वर ने अपनी उपस्थति उनके बीच से हटा ली।
''वे अपनी भेड़−बकरियां और गाय−बैल लेकर यहोवा को ढूंढने चलेंगे‚ परन्तु वह उनको ना मिलेगा; क्योंकि वह उनसे दूर हो गया है।'' (होशे ५:६)
पिछले बुधवार की रात मैंने जब बिली ग्राहम का एक विडियो देखा तो मुझे यह पद याद आया। सन १९८३ में वह केलिफोर्निया के सेक्रामेंटो में बोल रहे थे। उनका विषय “पवि़त्र आत्मा” था। जब वह प्रचार कर रहे थे तब मैं इस आयत पर मनन कर रहा था कि “वह उनसे दूर हो गया है।”
अब आपको समझ में आ गया होगा‚ कि मैं बिली ग्राहम को कितना चाहता हूं। मैं हमेशा चाहता हूं‚ व चाहता रहूंगा। मुझे याद है कि मैं उन्हें सुनने के लिये केलिफोर्निया के लॉस ऐंजिलिस कोलेसियम में अगस्त १९६३ में गया था। जब मैं अपनी कार से उतरा मैंने “महसूस किया” कि पवित्र आत्मा की मौजूदगी वहां है जैसे हवा में‚ बिजली का करंट‚ दौड़ रहा हो। मेरे शरीर में झुरझुरी दौड़ गयी। पवित्र आत्मा की मौजूदगी का अनुभव इतना गहराई लिये हुए व चौंकाने वाला था। उस बड़े स्टेडियम में प्रत्येक जन इतना शांत था। जब विशाल भजन मंडली ''प्रभु महान'' गाने के लिये खड़ी हुई तो उस शांति का बखान नहीं किया जा सकता। उस दिन का बिली ग्राहम का संदेश इतना सामर्थशाली था जिसे मैं आज तक भूल नहीं पाया हूं!
अगले दशको में मैंने अलग अलग शहरों में बिली ग्राहम की छ: बड़ी बड़ी सभाओं में हिस्सा लिया हैं। किंतु जब मैं केलिफोर्निया के ओकलैंड में, ७० सन के प्रारंभ में गया मैंने पाया कि तब उनके प्रचार में बहुत कम सामर्थ थी सन १९८० के प्रारंभिक महिनों में, मैं  के साथ का प्रचार देख रहा था। आधा प्रचार होने के बाद बोले, ''कि ऐसा लगता है कि जैसे बिली ग्राहम के अेदर बिल्कुल सामर्थ नही है।'' मैं नही सोचता कि ऐसा इसलिये हुआ कि वह बूढ़े हो चले हों। वह तो अभी भी बलवान लगते हैं। किंतु कुछ बात की कमी अवश्य थी। ऐसा ही मुझे भी लगा जब पिछले बुधवार की रात मैं वीडियों पर मि ग्राहम का प्रसारण देख रहा था। मुझे लगा कि स्वयं पवित्र आत्मा की वहां भारी कमी थी। मुझे ऐसा लगा कि “वह उनसे दूर हो गया (चुका) है” (होशे ५:६)। ऐसा केवल मि ग्राहम के प्रचार के समय ही नही होता है। पश्चिमी दुनिया के जितने भी चर्चस हैं वहां सभी जगह यह दशा दिखाई देती हैं। मुझे बहुत बुरा लगता है - कि हमारे चर्चस से जब हम प्रचार करते हैं तब परमेश्वर की मौजूदगी हट गयी हैं! कितने दुख की बात हैं! जब कभी इस बारे में सोचता हूं तो आंखों में आंसू आ जाते हैं! डॉ मार्टिन ल्योड-जोंस ने कहा था, “एक प्रचारक पवित्र आत्मा के बगैर प्रचार कर सकता है। वह अपनी बुद्वि से वचन की व्याख्या कर सकता है, किंतु यह पर्याप्त नहीं है। हमें पवित्र आत्मा की सामर्थ का प्रगटीकरण चाहिये।'' (डॉ मार्टिन ल्योड-जोंस‚ एम डी‚ रिवाईवल‚ क्रास वे बुक्स, १९८७‚ पेज१८५) सचमुच कितना अधिक मुझे मेरे लिये सामर्थ की जरूरत है! मैं आपसे निवेदन करता हूं कि मेरे लिये प्रार्थना कीजिये!
आप जानते होंगे कि‚ हमारे अंग्रेजी भाषी देशों में १८५९ के बाद से कोई बड़ी आत्मिक जाग्रति नहीं हुई। १५० सालो से अधिक समय हो गया। १८५९ के पहले‚ हमारे चर्चेस लगभग हर दशक में परमेश्वर द्वारा भेजी आत्मिक जाग्रति महसूस करते थे। किंतु डॉ मार्टिन ल्योड−जोंस ने कहा,

वर्ष १८५९ के बाद केवल एक विशाल जागृति आई। सचमुच हमने कितना अनउपजाउ समय बिताया....लोगों ने अपना विश्वास जीवित परमेश्वर में खो दिया उसके हमारे एवज में बलिदान देने पर से खो दिया और विद्वता, दर्शन शास्त्र और सीखने की ओर मुड गये। हम चर्च के एक लंबे समय तक के बांझ समय के गवाह रहे हैं.....हम अभी तक उसी निर्जन में चल रहे हैं। आप को कोई भी सलाह दे कि आप चर्च के इस बांझ समय से बाहर निकल आये हैं, तो विश्वास मत कीजिये हम अभी तक बाहर नहीं निकले हैं। (डी मार्टिन ल्योड−जोंस, एम डी, रिवाईवल, १९८७, क्रासवे बुक्स, पेज १२९)

यही कारण था कि मैंने आपको चीन की सामर्थकारी जाग्रति का विडियो दिखाया, । मैं चाहता हूं कि आप इसे जाने कि आज भी जाग्रति असंभव नहीं है। - यह संसार के अन्य भागों में हो रहा हैं। पर पश्चिमी दुनिया में कोई उत्तम प्रकार की जाग्रति नहीं होती, इसलिये मैं आपको इसे अपनी आंखों से देखने के लिये नहीं भेज सकता। मैं आपको सुदूर चीन में बने विडियो दिखाना चाहता हूं। चीन में सुदूर में बने इन विडियो को देखने के बाद आप भी जाग्रति पाने की इच्छा करेंगे। जैसे राजा सुलेमान ने कहा था,

“जैसा थके मान्दे के प्राणों के लिये ठण्डा पानी होता है, वैसा ही दूर देश से आया हुआ शुभ समाचार भी होता है।” (नीतिवचन २५:२५)




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